Tatvayog
Tattva means "the common basis of the visible and the invisible" and Yog means "to join". It means attaining the ability to connect oneself to the physical and metaphysical bases situated in the three worlds.
Astro Spiritual Yog means to understand and focus on the philosophy of Yog hidden in the spirit of astrology and to develop the ability to activate the subtle chakras associated with the body and move their power in the direction of the universe.
This subject is very mysterious and in order to understand it, it is necessary for a person to understand elemental astrology. This yoga action is called Tatvayog, which opens the path of liberation for everyone because through this a person understands the elements and even if he does not get the accomplishment of Tatvayoga, then also its practioneer attains priceless wisdom of self origination & reasons of self-being better than a common man. Neutral & positive power present in tatvayog enables us to occupy the best position in temporal and otherworldly motions.
The formula of Dhanuryoga is also associated with Tatvayoga, which is the best way to prove divine powers for children with celibacy, which has disappeared today.
In Tatvayoga, we actually tell a method to activate the 7 chakras divided into three worlds, which are according to the position of the planets, but is divided into seven chakras, which no one can understand without explaining. In the lower world there is a chakra in which there are three worlds which are called Mool, here three planets reside, after that in the medium world there is Swadhisthan, Manipura, Anahata chakra which is ruled by 3 planets and in the best world there are three chakras named Vishuddhi Ajna and Sahasrar. Whose lord is also 3 planets. In this way, we can be able to use the elements of all the planets in Tattva Yoga and can also understand Dhanuryoga through it. To know more about this contact us and register by filling the form.
तत्वयोग
तत्व का अर्थ है "दृश्य और अदृश्य का सामान आधार" और योग का अर्थ है "जोड़ना" । इसका मतलब है स्वयं को तीन विश्वों में स्थित भौतिक और आधिभौतिक आधारों से जोड़ सकने का सामर्थ्य प्राप्त करना।
ऐस्ट्रो स्पिरिचुअल योग का अर्थ है तत्व ज्योतिष के अध्यात्म में छुपे योग के दर्शनों को समझ कर ध्यान केंद्रित करना और शरीर से जुड़े सूक्ष्म चक्रो को सक्रीय कर उनके शक्ति को ब्रह्माण्ड के दिशा में संचालित कर सकने का सामर्थ्य विकसित करना। यह विषय बहुत रहस्यमयी है और इसे समझ सकने के लिए एक व्यक्ति को तत्व ज्योतिष का समझ होना अनिवार्य है। इस योग क्रिया को तत्वयोग कहतें है जो हर किसी के लिए मुक्ति का मार्ग खोल देता है क्योंकि इसके माध्यम से व्यक्ति तत्वों को समझ लेता है और यदि उसे तत्वयोग की सिद्धि नहीं प्राप्त होती तब पर भी केवल इसका ज्ञान हो जाने के कारन उसमे धर्म का वह सकारात्मक शक्ति विद्यमान हो जाता है जो लौकिक एवं पारलौकिक गति में सर्वश्रेष्ठ स्थान दिला सकने में सक्षम बना देता है। तत्वयोग से धनुर्योग का सूत्र भी जुड़ा हुआ है जो ब्रह्चर्य से युक्त बालकों के लिए दिव्य शक्तियों को सिद्ध करने का श्रेष्ठतम मार्ग है जो की आज लुप्त हो गया है।
तत्वयोग में हम वस्तुतः तीन विश्वो में विभाजित ७ चक्रो को सक्रीय करने सकने योग्य विधि बताते है जो नव ग्रहो के स्थिति अनुसार होता है परन्तु सात चक्रो में बंटा होता है जिसे बिना समझाए कोई नहीं समझ सकता है। निम्न विश्व में एक चक्र है जिसमे तीन लोक है जिसे मूल कहतें है यहाँ तीन ग्रहो का वास होता है इसके पश्चात् माध्यम विश्व में स्वाधिस्ठान,मणिपुर,अनाहत चक्र है जिसके स्वामी ३ ग्रह है और उत्तम विश्व में विशुद्धि आज्ञा और सहस्रार नामक तीन चक्र है जिसके स्वामी भी ३ ग्रह है। इस प्रकार से पुरे नव ग्रहो का तत्व हम तत्व योग में प्रयोग कर सकने योग्य हो जातें है और धनुर्योग को भी इसके माध्यम से समझ सकते है । इसके विषय में अधिक जानने के लिए हमसे संपर्क करे और फॉर्म भरकर रजिस्टर करें।